उसकी कंचन-काया
पंखों-पंखरियों से बनी है,
उसकी निश्छल आत्मा गढ़ी गई है
पवित्र उज्ज्वलता से,
उसका प्रेम रचा है
राग के पराग से-
उसे सम्हालकर
मेरे पास लाना, देवताओ!
उसकी कंचन-काया
पंखों-पंखरियों से बनी है,
उसकी निश्छल आत्मा गढ़ी गई है
पवित्र उज्ज्वलता से,
उसका प्रेम रचा है
राग के पराग से-
उसे सम्हालकर
मेरे पास लाना, देवताओ!