कितने यज्ञों
कितने हवन कुंडों में
और कितने धर्माचार्यों का
गुणा करे?
कि नैतिकता की
एक किरण पा सकें?
और डेढ़ सौ करोड़ के
इस महान देश में
पाँच सौ ईमानदार
संसद में जा सके?
कितने प्रोफेसरों में
कितने विश्वविद्यालयों का भाग दें?
कि तोते-ठीक-ठीक
चित्र कोटी दूध रोटी गाएँ,
और भैंसे अक्ल से
छोटी हो जाएँ!
कितने टन सोने में
कितने वित्त मंत्रीयों का गुणा करें
कि सस्ती हो जाए
तुअर की दाल
और भरे- भरे हो जाएँ जनता के गाल!
कितनी अज़ानों को
कितनी आरतियों के निकट लाएँ
कि टोटल कर्फ़्यू में नहीं आए
औए नदियों में खून नहीं
केवल पानी ही बह पाए!