बचपन में
जिस चबुतरे पर हम
बड़ी हिकमत और मुश्किल से चढ़ पाते थे
कितना सरल है
उस पर चढ़ना अब
जितना ऊँचा चबूतरा है
उससे कहीं ऊँचे हो गए हैं हम .......
बचपन में
कितना मुश्किल था
याद करना गिनती, पहाड़ा, ककहरा
संज्ञा, संवनाम वगैरह वगैरह
अब
कितना आसान लगता है सब कुछ ....
हल हो चुके बचपन के न जाने कितने सवाल
आज के सवाल न जाने हल हांेग कब
बचपन के सवालों की तरह ....।