टूटग्यो
आंख्यां रो भरम
अबै तो लागै
ओ संसार
एक अणहूणी
जकै में
निरथक है सोचणी
व्यवस्था री बात
चाळणो पड़सी
नारा उछाळती
भीड़ रै रेळै रै सागै
जकै में
कोई कोनी समझै
किण नै ही
ओळखणै री जरूरत !
टूटग्यो
आंख्यां रो भरम
अबै तो लागै
ओ संसार
एक अणहूणी
जकै में
निरथक है सोचणी
व्यवस्था री बात
चाळणो पड़सी
नारा उछाळती
भीड़ रै रेळै रै सागै
जकै में
कोई कोनी समझै
किण नै ही
ओळखणै री जरूरत !