पिता के बनाये मकान का
एक इंच भी नहीं मेरा।
पर उनके लगाए
अनगिन पेड़ों
की स्मृति
पर सिर्फ मेरा हक है।
उनका कोई साझेदार नहीं।
पिता के बनाये मकान का
एक इंच भी नहीं मेरा।
पर उनके लगाए
अनगिन पेड़ों
की स्मृति
पर सिर्फ मेरा हक है।
उनका कोई साझेदार नहीं।