Last modified on 27 अगस्त 2013, at 16:55

साथी रे भूल न जाना मेरा प्यार / रविन्द्र जैन

साथी रे भूल न जाना मेरा प्यार
मेरी वफ़ा का ऐ मेरे हमदम कर ले न ऐतबार
साथी रे ...

दूर कभी कर दे जो मजबूरी
वह दूरी तो होगी नज़र की दूरी
तेरी दुआयें गर साथ रहीं
आएगी फिर से बहार
साथी रे ...

काश कभी ये रैना न बीते
प्रीत का ये पैमाना कभी न रीते
डर है कहीं आने वाली सहर
ले ले न दिल का क़रार
साथी रे ...