अहिंसक बाघ जो होखे बड़ाई सब करी ओकर
अहिंसा के महातन के सुनी बकरी के मुँहें से
पुजाली देस में दुर्गा सवारी बाघ ह जेकर
नहालें व्यालमाली नित्य गंगाजल से दूबी से
समूचा देस होके एक बोले एक सुर से जो
खड़ा हो तानि के सीना चढ़ा के भौंह जो तिरछा
पहाड़ी काँपि जाई आदमी के बात के कहो
सुटुकि जाई सजी अणु बम तनिक जे बोलि दे कड़खा
चिरउरी हो रहल बाटे घिनावन हो गइल बाटे
अहिंसा वीर के भूषण बपउती ह सनातन से
अबे सझुरा रहल जे-जे उहे अझुरा रहल बाटे
वफादारी में गद्दारी समाइल बा सिंहासन से
कुरुसिया एक, एक्के पर लदाई सब, त का होई
ई कुरुसी टूटि जा गइल, त का इतिहास ना रोई?