केदारनाथ अग्रवाल जी की आरंभिक कविताओं का पहला संकलन मार्च 1947 में मुंबई से युग गंगा शीर्षक से प्रकाशित हुआ जिसमें उस समय के गरीब किसान मजदूर और नौजवान न केवल अपने जीवन की त्रासदियों से अपने पाठक को परिचित कराते है बल्कि उनके भीतर का साहस संघर्ष क्षमता और दुख दर्दो को जीतने वाली अदम्य शक्ति से भी यहां हमारा परिचय होता है । उन्होने अपने युग को गंगा के प्रवाह के रूप में देखा कदाचित इसीलिए पहले संग्रह का नाम दिया- युग गंगा