Last modified on 24 अगस्त 2012, at 11:48

सार्थक कहानी / लालित्य ललित


एक अच्छी कहानी पढ़ने का सुख
ऐसा होता है
जैसे घर के बनाए नमकपारों का
स्वाद, जो हल्की आंच में
बनाए गए हों
या
मुस्कराती हुई वह अल्हड़ लड़की
जो झटका दे कर अपने लहराते -
बालों को
वायु स्पर्श दे रही हो
या मास्टर जी की शाबासी
‘‘बेटा एक दिन बहुत ऊपर जाओगे !’’
अच्छी कहानियां कम लिखी जा रही
हैं ना तो अब
अच्छे लेखक रहे
ना बेहतर शिक्षक
इनको तो बदल सकते हो
कोई कहानी पसंद ना आए तो
आलोचना भरा पत्र
लेखक को लिख सकते हो
और यदि
मां-बाप गाहे-बगाहे आपको
तबला समझ
थाप देते रहे तो चुपके से
दूसरे कमरे मंे जा कर
एकांत सुख ले सकते हो
लेकिन मां-बाप को नहीं बदल सकते
इसी तरह
एक अच्छी कहानी पढ़ने का -
सुख
कई दिनों तक बना रहता है
कई दिनों तक उसके पात्र
नमकपारे का स्वाद
सौंधी महक
अपनापन, ज़ाय़क़ा, नज़रिया
ज़रिया, संवाद, एहसास
बना रहता है
अच्छी कहानी अच्छे इंसान
की एक मौलिक उपज है
देखो तो ज़रा
अपने नवजात शिशु को
कैसे संभाल रही है बिटिया
मां-बाप कौतूहल से देख रहे हैं !