आज जो सिक्का चमक रहा है
वह सिक्का
पता नहीं कल बाज़ार में चले भी या नहीं
यह भी ज़रूरी नहीं कि कल
लोग इसके लिए पसीना बहाएँ
अपना जीवन खर्च करें और
एक दिन इन्हीं सिक्कों की ख़ातिर
खदान में मृत पाए जाएँ।
आज जो सिक्का चमक रहा है
वह सिक्का
पता नहीं कल बाज़ार में चले भी या नहीं
यह भी ज़रूरी नहीं कि कल
लोग इसके लिए पसीना बहाएँ
अपना जीवन खर्च करें और
एक दिन इन्हीं सिक्कों की ख़ातिर
खदान में मृत पाए जाएँ।