Last modified on 22 जुलाई 2013, at 01:17

सितारे साम्राज्यवादी नहीं होते (कविता) / शिवकुटी लाल वर्मा

सितारे साम्राज्यवादी नहीं होते
वे चमकते हैं शिशुओं के हृदय और आँखों में
वे प्रतीक्षा करते हैं उनके जवान होने की
और फिर आहिस्ता से उन्हें मुक्त कर देते हैं
उनके मनचाहे स्वप्नों के लिए

वे जहाँ रात देखते हैं
वहीं चमकने लगते हैं
सूरज की भूमिका समाप्त होने के साथ ही
उनकी भूमिका शुरु हो जाती है

वे सारी रात चमकते रहते हैं
अगले सूर्योदय की प्रतीक्षा में
दुनिया से बेदख़ल होती मानवता को
वे आमन्त्रित करते हैं अपने अन्तःकक्ष में

विचारित नहीं होते वे वैज्ञानिकों और ज्योतिषियों के गणित से
वे मुस्कराते हैं कलाकार के रंगों में
संगीतज्ञ की मीड और गमक में

सितारे साम्राज्यवादी नहीं होते
वे बेचैन रहते हैं नाकाम करने को
कुटिलताओं और साज़िश भरे मन्तव्यों को

लेकिन एक उल्कापात होता है
तब कोई मर जाता है बेसहारा
और वंचित रह जाते हैं सितारे
उसके प्राणों की रोशनी बन पाने से ।