क्या धरा है नींद के उष्णीश पर
एक पुस्तक अधपढ़ी
अधखुला-सा एक हाथ
एक चिन्ता
दो खुली आँखें
और
अनगिन निष्पलक पल
और किंचित्
तुम्हारा आभास...
क्या धरा है नींद के उष्णीश पर
एक पुस्तक अधपढ़ी
अधखुला-सा एक हाथ
एक चिन्ता
दो खुली आँखें
और
अनगिन निष्पलक पल
और किंचित्
तुम्हारा आभास...