वेतन आयोग की रपट ।
बावरा हुआ है,
बोटी इस गिद्ध से झपट ।
राहत का हर टुकड़ा
सिर्फ़ टोटका है, क्यों
एकताल देह-दुम हिला रहा ।
तुझे बहुत जीना है
नज़र रख बघनखे पर
ऊपर जो झुका चला आ रहा ।
दाँतों में अड़ करके
तोड़ यह कुटी मशीन
गुज़र रही हद से पट-पट ।
बावरा हुआ है
बोटी इस गिद्ध से झपट !
इन शरीफ़ज़ादों से
सीखना नहीं भइये
थूक कर हथेली पर चाटना ।
रार बहतरी की लड़
ढाल है हथोड़े की
लोहे को,लोहे से काटना ।
प्राणों के मोल पर
सुना-सहा फज़ूल न हो
बीसवीं सदी के चुरकट !
बावरा हुआ है
बोटी इस गिद्ध से झपट !