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सिसटी / कन्हैया लाल सेठिया

कोनी रवै कदेई
सिसटी थिरचक
आ चालै अविराम अणथक
घटै घटणांवां फरूकतां पलक
जको लख
बीं स्यूं ही
जुड़योड़ो अळख !