उन बदनाम सीढ़ियों से नीचे उतर रहा था जब
तभी पल भर को झलक देखी थी तेरी
दो अनजान चेहरों ने एक-दूजे को देखा था तब
फिर मुड़ गया था मैं शक़्ल छुप गई थी मेरी
बड़ी तेज़ी से गुज़री थी तू छिपाकर चेहरा
घुसी थीं उस घर में जो बदनाम था बड़ा
जहाँ पा नहीं सकती थी तू सुख वह बहुतेरा
जो पाता था मैं वहाँ, उस घर में खड़ा-खड़ा
मैंने दिया प्रेम तुझे वैसा, जैसा तूने चाहा
थकी हुई आँखों से तूने भी मुझ पर प्रेम लुटाया
बदन हमारे जल रहे थे, एक-दूजे को दाहा
पर घबराए हम पड़े हुए थे, कोई न कुछ कर पाया
अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल जनविजय