बहुत से लोग जो
मेरे कंधों पर पाँव रख
आगे बढ़ गए
मिल जाते हैं कभी-कभार
कुछ दूर से ही
काट लेते हैं रस्ता
कुछ नज़दीक से
गुज़रते हैं
मुस्कुराते हुए
मैं फिर बनती जाती हूँ
सीढ़ी।
बहुत से लोग जो
मेरे कंधों पर पाँव रख
आगे बढ़ गए
मिल जाते हैं कभी-कभार
कुछ दूर से ही
काट लेते हैं रस्ता
कुछ नज़दीक से
गुज़रते हैं
मुस्कुराते हुए
मैं फिर बनती जाती हूँ
सीढ़ी।