डालों से लगे हरे-हरे पत्ते
एक दूसरे के सामने देख
चंचल हुए
एक दूसरे से
मिलने के लिए ललचाए
अपनी-अपनी जगह स्थिर
सूखे पत्ते
दूर-दूर से आकर
एक दूसरे से गले मिल रहे हैं,
साथी ! आओ झरें......
अनुवाद : मोहन आलोक
डालों से लगे हरे-हरे पत्ते
एक दूसरे के सामने देख
चंचल हुए
एक दूसरे से
मिलने के लिए ललचाए
अपनी-अपनी जगह स्थिर
सूखे पत्ते
दूर-दूर से आकर
एक दूसरे से गले मिल रहे हैं,
साथी ! आओ झरें......
अनुवाद : मोहन आलोक