Last modified on 12 फ़रवरी 2013, at 18:14

सुनने वाले फ़साना तेरा है / अख़्तर अंसारी

सुनने वाले फ़साना तेरा है
सिर्फ़ तर्ज़-ए-बयाँ ही मेरा है

यास की तीरगी ने घेरा है
हर तरफ़ हौल-नाक अँधेरा है

इस में कोई मेरा शरीक नहीं
मेरा दुख आह सिर्फ़ मेरा है

चाँदनी चाँदनी नहीं 'अख़्तर'
रात की गोद में सवेरा है