Last modified on 23 नवम्बर 2009, at 03:39

सुनो-1 / अशोक वाजपेयी

"इन यू ऐट एव्री मूमेण्ट, लाइफ़ इज़ अबाउट टु हैपन" -- अलबर्तो द’ लासेर्दा

सुनो अपने हाथ दो
सुनो अपनी बाँह दो
सुनो अपने नयन दो
सुनो अपने होंठ दो
सुनो यों थको मत
पसीजो मत
सुनो, सुनो यों ऐंठो मत
सुनो फूटो मत
धार-धार हो बहो मत
सागर तुम हो
नदी की सीमा
जो मेरी है, गहो मत
सुनो-

सुनो जो एक फिर छोटा उदय चमकेगा
उसे नाम मैं दूँगा
कल खिलेगा तुम्हारी टहनियों पर
फूल वह,
वह सोनल शस्य तुम्हारा
उसे नाम मैं दूंगा
सुनो-
सुनो अपने हाथ दो--


रचनाकाल : 1959