Last modified on 29 दिसम्बर 2018, at 06:49

सुनो / तारादेवी पांडेय


निर्भय रहने दो, मत छेड़ो इस वीणा के तार।
किसे सुनाओगे तुम इसकी सूनी-सी झंकार॥
उन तारों पर गाया करती हँ मैं नीरव गान।
नहीं जानती कब होगा इन गीतों का अवसान॥