सुन कोयल तों मत बोल कुछु
बरसात झमाझम छौ लखनी ।
घनघोर कठोर निनाद करै
स्वर दादुर झिंगुर के झखनी ।।
चुपचाप रहें तरु खोढ़र में
बनि केॅ चिपकें-चिपकें एखनी ।
करिहें मृदु गायन पंचम में,
रितु कन्त वसन्त जगौ जखनी ।।
सुन कोयल तों मत बोल कुछु
बरसात झमाझम छौ लखनी ।
घनघोर कठोर निनाद करै
स्वर दादुर झिंगुर के झखनी ।।
चुपचाप रहें तरु खोढ़र में
बनि केॅ चिपकें-चिपकें एखनी ।
करिहें मृदु गायन पंचम में,
रितु कन्त वसन्त जगौ जखनी ।।