Last modified on 18 अक्टूबर 2011, at 12:53

सुबह / संतोष अलेक्स

सुबह ने आकर
मेरा चुम्बन लिया

फिर
मैं उठकर बरामदे में पहुँचा
और आरामकुर्सी में बैठ कर
बीती रात को रचे षड्यंत्रों को याद करने की कोशिश करता रहा

इस बीच गाय रंभाई
और सारे षड्यंत्र उसमें विलीन हो गए
जिन्हें फिर याद नहीं कर पाया