Last modified on 25 जून 2017, at 11:38

सुर्र / निर्मल कुमार शर्मा

वर्दी रो मान टंग्यो खूँटयां
डंडे रो गज़ब रामो थें खेल
मुट्ठी गरम तो खूँ माफ़
नीं बदचलनी में भेजो जेल
दंगा ह्वे या हुवे कतल
बलवो ह्वे ठोकीजे निरबल
हर जुर्म री खबर रेवे थानें
या बात सारी दुनिया जाणे
पण गज री चाल सून आवो थें
जो पड़े दाब तो जांच करो
नीं, यूँ ही ऍफ़ आर लगावो थें

अजब जमाओ रुतबो, थांरी सुर्र बोलूँ
थानेदार कहूं, या, थानें गज गेलो बोलूँ !!