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सैंया सूतै बहियारोॅ में की करौं / अनिल कुमार झा

सैंया सूतै बहियारोॅ में की करौं
सैंया पड़ी गेलै प्यारोॅ में की करौं,
धानोॅ के खेतोॅ में पत्तन छै गिरलॉे
मोरकोॅ दुआरी के मुँह राखी मुनलोॅ,
यहेॅ चद्दर रजाय में रोज़ मरौं
सैंया सूतै बहियारोॅ में की करौं।
निचला सब खेतोॅ में छिटी-छिटी छिट्टा
कटनी के कचिया रो धार सिलबट्टा,
आँखी से देखी दिन रात जरौं
सैया सूतै बहियारोॅ में की करौं।
हेमंत जुआनी के द्वारी पर खाड़ोॅ
बात बात हेनोॅ घुराहूँ न पारोॅ,
मूल सब बचले छै सूदे भरौं
सैंया सूतै बहियारोॅ में की करौं।