मन्दिर-मस्जिद आस्था है,
आस्था रो कोई भवन नी हुवै।
हिन्दु-मुस्लिम भाई-भाई हैं,
आस्तीन रै सांप सो कोई दुश्मन नी हुवै।
जलती आग मैं घी गेरो तो, थोड़ो सोच लेईयो,
हर बार ओ काम हवन नीं हुवै।
मन्दिर-मस्जिद आस्था है,
आस्था रो कोई भवन नी हुवै।
हिन्दु-मुस्लिम भाई-भाई हैं,
आस्तीन रै सांप सो कोई दुश्मन नी हुवै।
जलती आग मैं घी गेरो तो, थोड़ो सोच लेईयो,
हर बार ओ काम हवन नीं हुवै।