उड़लइ सोन-चिरइया
साँझ मुन्हारि खन
काँपल डारि
भेल थिर
बहल हवा घेरि झिर-झिर-झिर
घाट घुराबह नाह खेबइया,
उड़लइ सोन-चिरइया
अन्हार भेल
तट छल, से अगम धार भेल
काँपल लहरि
भेल थिर।
(मिथिला-दर्शन, मइ: 1959)
उड़लइ सोन-चिरइया
साँझ मुन्हारि खन
काँपल डारि
भेल थिर
बहल हवा घेरि झिर-झिर-झिर
घाट घुराबह नाह खेबइया,
उड़लइ सोन-चिरइया
अन्हार भेल
तट छल, से अगम धार भेल
काँपल लहरि
भेल थिर।
(मिथिला-दर्शन, मइ: 1959)