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स्वीकार मुझे / दीनानाथ सुमित्र

शूल पंथ पर चलना है स्वीकार मुझे
नहीं चाहिए फूलों पर अधिकार मुझे
 
जिसको सुख कहते हो दुख है
जिसको दुख करते हो सुख है
नहीं चाहिए सुख का पारावार मुझे
शूल पंथ पर चलना है स्वीकार मुझे
नहीं चाहिए फूलों पर अधिकार मुझे
 
खाना मुझको चना-चवेना
सुर भोजन से है क्या लेना
देती है सब कुछ मेरी सरकार मुझे
शूल पंथ पर चलना है स्वीकार मुझे
नहीं चाहिए फूलों पर अधिकार मुझे
 
सारी धरती का दुख डेरा
सदा लगाया इसका फेरा
प्यारा लगता है सारा संसार मुझे
शूल पंथ पर चलना है स्वीकार मुझे
नहीं चाहिए फूलों पर अधिकार मुझे