Last modified on 25 अगस्त 2023, at 19:52

हठ की दीवार / राजकुमारी रश्मि

रोक रही पहिये विकास के
हठ की यह दीवार I
इसके पीछे छिपकर बैठे
कुछ हिंसक किरदार I

चाल चल रहे हैं अब अपनी
होकर सारे एक I
आग लगाकर आज देश में
रहे रोटियाँ सेंक I
हम इनको सुविधाएँ देकर
बाँट रहे उपहार I

रचा जा रहा है विदेश से
मिलकर पूरा खेल I
इसीलिए ये सभी अखाड़े
दण्ड रहे हैं पेल I
सारे चेहरे हुए उजागर,
जो भी थे गद्दार I

देश तोड़ने पर उतरी है
इनकी ओछी सोच I
उसने आज बकासुर जैसी
फैलाई है चोंच I
अति आवश्यक है अब इनका
समुचित हो उपचार I