हम समुद्र को उबालेंगे
मटके में
सब जगह
भाप ही भाप होगी
ठंडी साँस लेंगे
सर्द होगी भाप
बूँदें टपकेंगी...
तुम अपने मुँह
खुले... मगर ख़ामोश रखना
क्या हुआ
नहीं बरसे बादल
...
हम बरसेंगे
दिसम्बर,1987
हम समुद्र को उबालेंगे
मटके में
सब जगह
भाप ही भाप होगी
ठंडी साँस लेंगे
सर्द होगी भाप
बूँदें टपकेंगी...
तुम अपने मुँह
खुले... मगर ख़ामोश रखना
क्या हुआ
नहीं बरसे बादल
...
हम बरसेंगे
दिसम्बर,1987