Last modified on 6 अक्टूबर 2020, at 23:37

हवा चली / प्रकाश मनु

हवा चली तो फर-फर, फर-फर
उड़े हमारे बाल,
हवा चली तो चुनमुन के भी
चमक उठे हैं गाल।
हवा चली तो पत्ते सारे
बजा रहे हैं ताली,
हवा चली तो झुक आई यह
हरसिंगार की डाली।