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हाइकु 122 / लक्ष्मीनारायण रंगा

सैंकडूं करै
आत्मघात पण
देस गावै ‘जय हो’


जवान है रे!
उठा ऊंची निजर
झुकसी आभो


धरती मा है
पण धापगी सह
थारा धमीड़ा