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हाइकु 125 / लक्ष्मीनारायण रंगा

पै‘ला भी आयो
अबार आयोड़ो हूं
फेर आऊंला


काच देखतां
बीत्यो आखो जीवण
अजै अंजाणो


छापा-तिलक
आरती‘र भजन
मन-नास्तिक