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हाइकु 167 / लक्ष्मीनारायण रंगा

आभै रा तारा
गूंथ रै‘या मोतीड़ा
नदी री लटां


फेरण लाग्या
सूरज सूं मूंढो अे
सूरजमुखी


कुण मा-बाप
कै‘रा भाई‘र बै‘न
बस हूं ई हूं