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हाइकु 169 / लक्ष्मीनारायण रंगा

होटल मांय
थोड़ा दिन रै‘वणो
मोह ना बंध


सुजाता पा थूं
थारी बा ई खीर
आज बुद्धां नैं


कोयल मैना
साध नी मून, बोलै
डोढाकागला