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हाइकु 173 / लक्ष्मीनारायण रंगा

प्रेम कस्तुरी
मै‘क री पल पल
तन मन में


जीव जगत
परिवार आपां रो
सै जमीं आया


गूंजै है टीवी
हर कमरे मांय
सूनो आंगणो