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हाइकु 179 / लक्ष्मीनारायण रंगा

ना रैयो ढोलो
ना अबै मरवण,
मेम‘र साब


मैली ना कर
आ चूंदड़ी नीं थारी
है उधारी रे


आंसू धोय‘र
ऊजळ करै आंख
मन रो काच