घर-घर री
चिपोड़ी भींतां पण
मिनख-जुदा
कठै है आभो
भरम है मन रो
झुकै डरतो
जद ई आवै
लाडलै री याद, मां
पावस जाय
घर-घर री
चिपोड़ी भींतां पण
मिनख-जुदा
कठै है आभो
भरम है मन रो
झुकै डरतो
जद ई आवै
लाडलै री याद, मां
पावस जाय