ओ जगत है
रात भर बसेरो
थारो न म्हारो
ओ समंदर
उतार लायो चांद
धरती माथै
कित्ता बस्या है
मिनख में मिनख
खुद नीं जाणै
ओ जगत है
रात भर बसेरो
थारो न म्हारो
ओ समंदर
उतार लायो चांद
धरती माथै
कित्ता बस्या है
मिनख में मिनख
खुद नीं जाणै