Last modified on 26 जुलाई 2018, at 22:13

हाइकु 90 / लक्ष्मीनारायण रंगा

माथो कटावै
माथो नईं झुकावै
मरू रा पूत


प्राण लुटाया
पण कौल निभाया
पाबू-गोगाजी


प्रेम दीवाणी
मीरां नै जन्मा सकै
बस आ धरा