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हाथ-3 / अशोक वाजपेयी

उसके हाथ की गुनगुनी धूप
उसके हाथ का झिझकता अन्धेरा

उसके हाथ फूलों की तरह
ओस-भीगे और शान्त
उसके हाथ पक्षियों की तरह
भाग जाने को विकल

उसके हाथ अकेले
उसके हाथ डूबे हुए स्वप्न में
उसके हाथ
करते हैं प्रतीक्षा
हाथों की।

रचनाकाल :1989