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हाथ हथौड़ा रे / ब्रजमोहन

हाथ हथौड़ा रे
ओ भैया, हाथ हथौड़ा रे
तेरी छाती से बढ़कर न पर्वत चौड़ा रे...

गला-गलाकर लोहे को
तू ख़ुद इस्पात बना है
तेरे आगे कोई सीना
कब तक भला तना है
हर युग में ख़ूनी जबड़ों को तूने तोड़ा रे...
हाथ हथौड़ा रे...

ज़हरीले साँपों का दुशमन
तू सबसे पहला है
ज़हरीले साँपों को तूने
हर युग में कुचला है
ज़िन्दा अपने दुशमन को न तूने छोड़ा रे...
हाथ हथौड़ा रे...