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हिड़काव / कन्हैया लाल सेठिया

हु‘र
चेताचूक
पड़गी धो‘र हाथ
चेतणा
जड़ता रै लारै,
करै भेला
मान‘र कांकरां नै
हीरा‘र पन्ना
मरयोड़ी माटी नै
सोनो‘र चांदी,

सूखगी
साव
संवेदणा री सीर,
खूटग्यो
नैणां रो
नेह‘र नीर
भूलग्यो
सिंग्याहीण
मिनख
मानखै रो मोल,

बणग्यो
दीठ रो धरम
ताकड़ी रो तोल !