छुटपण में
जद म्हें इस्कूल जावता
पाटी सुखावता
गीत गावता-
‘‘सूख-सूख पट्टी
चन्दण गट्टी
राजा आया
म्हेल चुणया
राजा की पट्टी
सूखगी’’
थोड़ाक’ दिनां पछै
म्हारी पाटी छूटगी
राजा रा म्हेल-मालि़या
नीं छूटिया
थोडा़ क’ दिनां पछै
म्हारी पाटी सूखगी
राजा रा म्हेल-मालि़या
नीं सूखिया
थोड़ा क’दिनां पछै
म्हारी पाटी टूटगी
राजा रा म्हेल-मालि़या
नीं टूटिया
पण आज तांई
जिण अबखी घड़ी री
संका रैयी
वा घड़ी आयगीं
राजा म्हारी
टूटी-फूटी
पाटी रे पाछै
हाथ धोयनै पडियो़ है
वो चावै-
जे आ पाटी
मांडे तो बस
म्हेल मालिया मांडे
जे आ पाटी
लिखे तो फकत
लिखे म्हेल-मालि़या
जे आ पाटी
चालै तो फकत
म्हेल-मालि़या री चाल
जे आ पाटी
पूछे तो छेवट
महेल-मालि़या रा हाल
जे आ पाटी
बणै तो फकत
म्हेल-मालिया री ढाल़
जे आ पाटी
हुवै तो राजा री
नाक रो बाल
जे आ पाटी
फोड़ै तो बस
गरीब-गुरबा री खाल
पण मुस्किल
आ है क’
पाटी वालो़
आपणी टूट्योड़ी पाटी रो
साव बचियो घरम
भ्रस्ट नीं करणो चावै
राजा आपणी बात
पाटी सिवा
किण आसरे पुगावै ?
मुस्किल आ है क’
पाटी राजा री बात पे
कान इज नीं
धरणो चावे
मुस्किल आ है क’
पाटी आपणै ठौड़ सूं
हालणै नै
तैयार कोनीं
मुस्किल आ है क’
राजो नूं वै जमानै री
चाल चालणै ने
तैयार कोनीं
मुस्किल आ है क’
आज रै बखत
संभला़य दिया है
पाटी नै
घणकरा दूजा काम
पाटी जाणै
आपसी किस्मत
पाटी जाणै
आपणा काम
राजा जी रा
मालिक राम !