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आदमी को आदमी से प्यार होना चाहिए / धर्वेन्द्र सिंह बेदार

आदमी को आदमी से प्यार होना चाहिए
प्यार का इक आपसी इक़रार होना चाहिए

किसलिए रखना छिपाकर इश्क़ के जज़्बात को
इश्क़ है तो इश्क़ का इज़हार होना चाहिए

बस मुहब्बत ही मुहब्बत के खिले हों गुल जहाँ
इक चमन ऐसा यहाँँ गुलज़ार होना चाहिए

इस दफ़ा पतवार मेरी हौसला मेरा बना
इस दफ़ा मुझको समुंदर पार होना चाहिए

हर किसी का ख़्वाब ये हों दो निवाले पेट में
हर किसी का ख़्वाब ये साकार होना चाहिए