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उसके नयन में ग़म्ज़:-ए-आहू पछाड़ है / वली दक्कनी

उसके नयन में ग़म्‍ज:-ए-आहू पछाड़ है
ऐ दिल सम्‍हाल चल कि अगे मार-धाड़ है

तुझ नैन के चमन मिनीं क्‍यूँ आ सकूँ कि याँ
ख़ाराँ के झाड़ ख़ंजर-ए-मिज़्गाँ की बाड़ है

जिसकूँ नहीं है बोझ तिरे हुस्‍न-ए-पाक की
तिनका नज़ीक उसके मिसाल-ए-पहाड़ है

नर्गिस के फूलने की करे सैर दम-ब-दम
जो तुझ निगाह-ए-मस्‍त का कैफ़ी कराड़ है

दिल में रखा जधाँ सूँ 'वली' तुझ दतन की याद
दाड़म नमन तधाँ सूँ सिने में दराड़ है