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दग़िस्तानी लोरी - 8 / रसूल हम्ज़ातव / मदनलाल मधु

इससे पूर्व की गीत भोर का पहला पक्षी गाए
गेहूँ के खेतों में कोई बिटिया को बहलाए ।

इससे पहले, दूर कहीं पर कोयल कूके वन में
मेरी बिटिया खेले-कूदे चरागाह-आँगन में ।

सुन्दरियाँ सिंगार करें औ’ निकलें जब तक सजकर
मेरी बिटिया ले आएगी चश्मे से जल भरकर ।

रूसी भाषा से अनुवाद : मदनलाल मधु