वो कर लें हम पर अगर इक नज़र सलीके से
गुज़ार लेंगे ये हम भी सफ़र सलीके से
न जाने उनसे मुलाक़ात फिरके हो कि न हो
सो देख तो लें उन्हें आँख भर सलीके से
बिना करार के हमको मिला था एक मकाँ
उसे सजाया किये उम्र भर सलीके से
ये माना रात गुज़ारी है हमने आँखों में
मगर यकीं है कि होगी सहर सलीके से
हमारी बात का भी कुछ असर तभी होगा
कहेंगे हम भी ज़रा कुछ अगर सलीके से