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हर गियर रफ़्तार का यारो बदलते जाइए / धर्वेन्द्र सिंह बेदार

हर गियर रफ़्तार का यारो बदलते जाइए
दूर हो मंज़िल भले ही आप चलते जाइए

वक़्त बदले गर कभी रफ़्तार अपनी दोस्तो
वक़्त की रफ़्तार के फिर साथ चलते जाइए

गर मिटाना है अ़ँधेरा इस जहाँँ से आपको
तो चराग़ों की तरह हर रात जलते जाइए

मेहनतों से सीख लीजे कामयाबी का हुनर
यूँँ नहीं नाकामियों पर हाथ मलते जाइए

ज़िंदगी इक खेल है शतरंज का इस खेल में
कामयाबी के लिए हर चाल चलते जाइए

ज़िंदगी में लाज़िमी है ठोकरें खाना मगर
ज़िंदगी में ठोकरें ख़ाकर सँभलते जाइए