पिता की जिंदगी में पीड़ा
क से कर्ज
मां की आंखों में सपना
क से कमाई
भाइयों के लिए भविष्य
क से कमठाणा
मेरे लिए-
क से कविता !
अनुवाद : नीरज दइया
पिता की जिंदगी में पीड़ा
क से कर्ज
मां की आंखों में सपना
क से कमाई
भाइयों के लिए भविष्य
क से कमठाणा
मेरे लिए-
क से कविता !
अनुवाद : नीरज दइया