मेरे धर्म (प्रथम पद)
मेरे धर्म , मुझे अब तुम उदार होने दो,
निखिल विश्व में मिलकर अपनापन खोने दो,
खोने दो मुझे अछूत के साथ बैठकर,
जाने दो मुझको मुसलिम के घर के भीतर,
पीने दो मुझे ईसाई घर का पानी ।
(विराट ज्योति पृष्ठ 17)
मेरे धर्म (प्रथम पद)
मेरे धर्म , मुझे अब तुम उदार होने दो,
निखिल विश्व में मिलकर अपनापन खोने दो,
खोने दो मुझे अछूत के साथ बैठकर,
जाने दो मुझको मुसलिम के घर के भीतर,
पीने दो मुझे ईसाई घर का पानी ।
(विराट ज्योति पृष्ठ 17)